दोस्तों अगर हम शरीर भर की त्वचा, मांस, चर्बी, मांसपेशियों आदि काटकर निकाल दें तो हड्डियों का एक पिंजर की शेष रह जाएगा | इस शरीर या पिंजर में 206 हड्डियां होती है परंतु नवजात शिशु में 350 हड्डियां होती हैं | जो जुड़ते जुड़ते जवान होने तक 206 रह जाती है |
लंबी, चौड़ी, गोल, पतली, मोटी, छोटी, बड़ी सब आपस में स्थान-स्थान पर जुड़ी हुई है | वास्तव में यह सब अलग अलग होती है, जुड़ी हुई होती है या तो स्वयं अपने आप के जोड़ों से या मांस की पट्टियों से |
किसी किसी की हड्डियां बहुत मजबूत होती है | जो अपने ऊपर से हाथी तक निकल जाने पर भी Damage नहीं होती | परंतु कुछ लोगों की हड्डियां इतनी कमजोर होती है कि जरा से झटके या चारपाई आदि के ऊपर से गिरने में ही टूट जाती है | उनकी मजबूती भोजन पर निर्भर करती है |
शरीर का पंजर ( Skeleton) तीन भागों में बांटा जा सकता है पहला खोपड़ी - जिसके अंदर समस्त शरीर का संचालक ( राजा ) मस्तिष्क होता है | खोपड़ी के सामने की ओर दो गड्ढे में आंखें होती है |
खोपड़ी की हड्डियां आपस में एक कमान का रूप लिए एक दूसरे से सटी होकर एक बक्से का रुप ले लेती है जिसमें मस्तिष्क सुरक्षित रहता है |
दूसरा धड़ - जिसमें फेफड़े हृदय यकृत आदि मुख्य अंग सुरक्षित रहते हैं |
तीसरी बाहें और टांगें होती हैं |
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किसी किसी की हड्डियां बहुत मजबूत होती है | जो अपने ऊपर से हाथी तक निकल जाने पर भी Damage नहीं होती | परंतु कुछ लोगों की हड्डियां इतनी कमजोर होती है कि जरा से झटके या चारपाई आदि के ऊपर से गिरने में ही टूट जाती है | उनकी मजबूती भोजन पर निर्भर करती है |
शरीर का पंजर ( Skeleton) तीन भागों में बांटा जा सकता है पहला खोपड़ी - जिसके अंदर समस्त शरीर का संचालक ( राजा ) मस्तिष्क होता है | खोपड़ी के सामने की ओर दो गड्ढे में आंखें होती है |
खोपड़ी की हड्डियां आपस में एक कमान का रूप लिए एक दूसरे से सटी होकर एक बक्से का रुप ले लेती है जिसमें मस्तिष्क सुरक्षित रहता है |
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