शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

खाने की चीज़ों का गलत सयोंग बिगाड़ सकता है आपकी सेहत

खाने की चीज़ों का गलत सयोंग बिगाड़ सकता है आपकी सेहत 

कुछ खाने पीने की वस्तुएं अकेली तो अमृत के समान गुणकारी होती है किंतु अन्य वस्तुओं के साथ मिल जाने पर वह जहर का काम करती है | कुछ द्रव्य या वस्तुएं परस्पर गुण विरोधी, कुछ द्रव्य संयोग विरुद्ध और कुछ द्रव्य संस्कार विरुद्ध, कुछ द्रव्य देशकाल और मात्रा आदि से विरुद्ध होते हैं | गुण विरोधी - जैसे मछली और दूध का एक साथ सेवन करने से सफेद कुष्ठ दाग होने का भय रहता है | इसी प्रकार संयोग विरुद्ध - जैसे दूध और  मूली | संस्कार विरुद्ध - जैसे कांसे के बर्तन में 10 दिन रखा हुआ घी | काल विरुद्ध - जैसे शीतकाल में शीतल और  रूखी वस्तुओं का सेवन या रात में सत्तू का सेवन आदि | परस्पर विरोधी खाने पीने से पदार्थों के प्रयोग से बचने से अनेक रोगों से सहज ही बचा जा सकता है |
भोजन का गलत मिश्रण शरीर को हानि पहुंचाता है | कुपोषण होता है तथा शरीर में गैस तथा अन्य विकार उत्पन्न होते हैं | इसलिए बेमेल भोजन से बचें | 
यदि आप प्रोटीन खाते हैं तो उसके साथ मक्खन, घी,  तेल आदि चिकनी वस्तुए न खाएं | इसके अतिरिक्त प्रोटीन के साथ नींबू, सिरका, अचार प्रयोग ना करें | इन को प्रयोग करने से आंतों में सड़न होती है और पाचन क्रिया धीमी हो जाती है | मल विकृत अवस्था में निष्कासित होता है | 
मीठे फल तथा खट्टे फल एक साथ न खाएं | मिक्स फ्रूट चाट का त्याग करें | इनके इनकी वजह से पाचन क्रिया में व्यवधान उत्पन्न होता है |
एक साथ कई प्रकार के प्रोटीन ना ले | अधिक प्रोटीन लेना भी सेहत के लिए हानिकारक है जैसे दालें, दूध, सूखे मेवे भी एक बार में ही लेना ठीक नहीं है |
प्रोटीन के साथ मीठी वस्तुएं बिल्कुल भूल कर भी ना खाएं जैसे गुड, चीनी, शहद, मीठे फल न ले | सब की पाचन क्रिया का समय भिन्न भिन्न होता है | मीठी चीजे जल्दी पचती हैं और प्रोटीन के पचने का वक्त अलग है |
श्वेता सार के साथ भी मीठी वस्तु न खाएं तथा श्वेतसार के साथ प्रोटीन ना ले | इनको साथ लेने से पाचन क्रिया में कठिनाई होती है | 
श्वेता सार के साथ खट्टे फल आदि का प्रयोग ना करें | जैसे इमली, संतरा आदि क्योंकि दोनों को पचाने के समय में भिन्नता है | अतः श्वेतसार जल्दी नहीं पच पाएगा |
सब्जी के साथ मीठे फल ना ले | फल शीघ्र पचते हैं जबकि सब्जी  देर से | 
दूध के साथ मीठे फल, चीनी का प्रयोग न करें | शहद डालकर दूध पी सकते हैं | फीका दूध पिए तो सबसे अच्छा है | 
पानी वाले फल, खरबूजे, तरबूज़  के साथ अन्य चीज न खाये तथा पानी तो भूलकर  भी न पिए | 
इसके अतिरिक्त बहुत अच्छा होगा की आप बिस्कुट, डिब्बा बंद भोजन, सभी मेदे की बनी वस्तुए, आचार, सिरका, तले पदार्थो से अपने आप को दूर रखें | यह खाद्य पदार्थ निर्जीव भोजन होता है जो पाचन क्रिया को प्रभावित करता है ओर सेहत के लिए नुकसानदायक है |
दिन में चाय, कॉफी लोग बहुत पीते हैं | यह भूख को कम करते हैं तथा गैस, एसिडिटी को बनाते हैं | पेट के लिए यह दोनों शरीफ शत्रु है जो धीरे-धीरे कमाल दिखाते हैं  |

आइए आपको कुछ और हानिकारक या अहितकारी सयोंग के बारे में बताते हैं :- 
दूध के साथ दही, नमक, इमली, खरबूजा, बेलफल, नारियल, मूली और मूली के पत्ते, तोरई, गुड या गुड का हलवा, तिलकुट, तेल, कुलथी, सत्तू, खट्टे फल, खटाई आदि नहीं खानी चाहिए |
दही के साथ खीर, दूध, पनीर, गरम खाना या गरम वस्तुएं, खरबूजा इत्यादि नहीं खाना चाहिए |
खीर के साथ खिचड़ी, कटहल, खटाई, सत्तू, शराब आदि नहीं लेना चाहिए |
शहद के साथ मूली, अंगूर, वर्षा का जल, गर्म वस्तु, गर्म जल आदि का सयोंग अहितकारी होता है |
गर्म जल के साथ शहद नहीं लेना चाहिए |
शीतल जल के साथ मूंगफली, घी, तेल, तरबूज, अमरूद, जामुन, खीरा, ककडी, नेजा, गर्म दूध या गर्म खाद्य पदार्थ, आदि का सहयोग अहितकारी होता है |
घी के साथ शहद बराबर मात्रा में नहीं लेना चाहिए |
खरबूजे के साथ लहसुन, मूली के पत्ते, दूध व दही नहीं खाना चाहिए |
तरबूज के साथ पुदीना, शीतल जल नहीं पीना चाहिए 
चाय के साथ ककड़ी या खीरा नहीं खाना चाहिए |
चावल के साथ सिरका नहीं खाना चाहिए | 
यह अहितकारी संयोग है | इनको लेने से शरीर में अलग-अलग तरह की बीमारियां होने का डर रहता है |

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बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

1 से 3 साल के बच्चे को क्या खिलाये || खाने की आदत कैसे डाले

1 से 3 साल || बच्चे को क्या खिलाये || खाने की आदत कैसे डाले 


1 से 3 साल तक के बच्चों के माता-पिता अक्सर यह शिकायत करते देखे जाते हैं कि " क्या करें बच्चा कुछ खाता ही नहीं है" | खाने के लिए उसके आगे कुछ भी रख दिया जाए तो वह मां की धैर्य की इतनी परीक्षा लेता है कि बस पूछो ही नहीं | 1 से 3 साल के बच्चे खाने पीने के मामले में बेहद चूजी होते हैं | यह वह समय होता है जब बच्चा धीरे धीरे चलना सीखता है | चलना सीखने के साथ ही उसकी भोजन में रुचि कम हो जाती है | यही वजह है कि उसकी भूख भले ही कम ना हो लेकिन वह दिन में हर बार खाने में कम खाता है | हालाकी कहीं पेरेंट्स को तो लगता है कि बच्चा कम खाने के कारण कहीं कमजोर ना हो जाए,  लेकिन उसके खाने की आदतों में बदलाव के बावजूद बच्चे को हर समय कुछ न कुछ खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए | 
मां की दूध के साथ साथ गाय-भैंस का दूध, फलों के रस, हरी सब्जियों के सूप आदि दें | आधा पका खाना जैसे चावल पतली की आलू व सब्जियां पतली खिचड़ी आदि देना शुरू करें गाजर व आलू को उबालकर खूब मसल कर दें केला दूध में फेट कर चावल के मुरमुरे पटोलिया आदि भी दे सकते हैं और जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाए उसे खिचड़ी दलिया बिना मसाले की दाल और सब्जियां दाल भात जांच दही सूजी इडली साबूदाना बिना मसाले की दाल में रोटी चूर कर खिलाना पहले कम मात्रा में और फिर धीरे धीरे उम्र और बच्चे की भूख के अनुसार खाद्य पदार्थ की मात्रा बढ़ा बढ़ाते जाएं धीरे-धीरे बिस्किट गाजर आदि पकड़कर खाने को दे दो ध्यान रखे बच्चे का आहार बच्चे को ऐसा बना दे जो गले में अटक जाए

बच्चे को आधा पक्का भोजन जल्दी देना शुरू करें :- सब्जियों को थोड़ा पकाकर उसे उसकी प्यूरी बनाकर खिलाने की शुरुआत जल्दी करनी चाहिए | विभिन्न अध्ययनों से इस बात की पुष्टि होती है कि बच्चों को अगर इस तरह का खाना देर से खिलाया जाए तो वह खाने पीने के मामले में ज्यादा चूजी हो जाते हैं | बच्चा जब 6 से 9 माह का हो तो उसे चबाने वाले इस तरह के मुलायम फूड आइटम्स देने चाहिए ताकि उसकी खाने पीने की आदत सही बन सके |
कम मात्रा में परोसे :- छोटे बच्चे को जितनी जल्दी भूख लगती है, उतनी ही जल्दी उसका पेट भी भर जाता है, इसलिए कोई भी चीज उसे पहली बार थोड़ी मात्रा में दे | देख यदि वह दोबारा उसे खाने की मांग करता है तो और दे | इस से न केवल बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार होगा बल्कि कम मात्रा में खाना खाने से बच्चे के रक्त में शुगर लेवल भी सामान्य रहता है और उसके मूड में भी पल पल बदलाव नहीं आता | 
कभी-कभी स्नेक्स दें :- बच्चे को दिन में कई बार भूख लगती है और उसे कई बार कुछ न कुछ खाने के लिए देना पड़ता है | उसे दिन में तीन बार भोजन और दो से तीन बार स्नैक्स देना चाहिए | लेकिन याद रखें कि अगर वह कुछ खाने से मना कर दे या आपसे कहे कि मेरा पेट भर गया है तो उसके बाद उसे दोबारा कुछ भी खाने के लिए न कहें |
स्टोर करें :- बच्चे की मनपसंद खाने की विभिन्न चीजें और ड्रिंक्स की एक जगह बनाएं और वहाँ पर रखे, और वह क्या खाना पीना चाहता है उसे दिखाएं, इस तरीके से भी बच्चे भूख होने पर कुछ ना कुछ खा लेते हैं यानी बच्चे का फूड के प्रति, खाने के प्रति एक हेल्दी नजरिया बनता है | 
भोजन को रुचिकर बनाएं :- बच्चे को खाने के लिए दी जाने वाली चीजों को इस तरह बनाएं कि बच्चा खुद ब खुद उन्हें खाने के लिए प्रोत्साहित हो | उसके भोजन में रंगों का इस्तेमाल करें और विविधता लाएं | उसे जिन बर्तनों में भोजन परोसना है, वह कप प्लेट और कटलरी जो उसे पसंद हो वह दे |  अगर आप उसके लिए केक बना रही है तो केक बनाने के दौरान उस से उसमें मैदा या आटा डलवाएं और खाना पकाने के दौरान उससे उस खास चीज के बारे में बताएं कि वह बनने के बाद कितनी स्वादिष्ट होगी |
बदल बदल कर खिलाएं :- बच्चे को सुबह के नाश्ते लंच और रात के खाने, इन सब में कब क्या खाना चाहिए, इसके बारे में बताएं | उदाहरण के तौर पर यदि वह सुबह के समय फल खाना चाहता है और रात के समय आमलेट ले, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है |
बच्चे के लिए मॉडल बने :- कई माता पिता खाने के विषय में खुद ही चूजी होते हैं | वह इस बात को समझ नहीं पाते की जब वह खुद खाने को लेकर ना-नुकुर करते हैं या खाने की चीजों को लेकर नुक्ताचीनी करते हैं तो भला उन चीजों को उनके बच्चे कैसे आसानी से खा सकते हैं | अपनी पसंद के अनुसार बच्चे की खाने-पीने की चीजें निर्धारित ना करें और ना ही अपने स्वाद के अनुरूप उन्हें खाने के लिए दें क्योंकि बच्चे के स्वाद और आपके स्वाद में काफी फर्क है इसलिए जरूरी नहीं है कि वह आपकी पसंद की चीजें खाएं |

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शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017

रक्तधमनियों में जमी हुई कोलेस्ट्रॉल को दूर करके ह्रदय की कार्यक्षमता बढ़ाता है चुम्बकीय पानी

रक्तधमनियों में जमी हुई कोलेस्ट्रॉल को दूर करके ह्रदय की कार्यक्षमता बढ़ाता है चुम्बकीय पानी 



पानी को चुंबक से चार्ज करने पर उसमे औषधीय गुण आ जाते हैं | यह पानी औषधीय गुणों से युक्त होता है |स्वस्थ व्यक्ति उसका उपयोग करके पाचन क्रिया को सुधार सकता है और थकान मिटा सकता है |


यह पानी रक्तवाहिनियों मैं कोलेस्ट्रॉल को जमा होने से रोकता है तथा जमी हुई कोलेस्ट्रॉल को दूर कर के हृदय की कार्य क्षमता को बढ़ाता है | यह पानी मूत्रल होकर मूत्राशय, मूत्र पिंड तथा पित्ताशय की तकलीफ़ों में उपयोगी है | इस पानी के द्वारा पथरी निकल जाती है |स्त्रियों की मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है एवं गर्भाशय की तकलीफो से भी राहत मिलती है | बुखार, दर्द, दमा, सर्दी, खासी आदि में,  बालकों के विकास में तथा जहर के असर को मिटाने के लिए भी यह पानी उपयोगी है |

पानी को चुंबकित करने की विधि :- 

कांच की बोतल में पानी भरकर डॉट लगाकर फिट करके उसकी एक और उत्तर ध्रुव दूसरी और दक्षिण ध्रुव आए इस प्रकार से चुंबक लगाएं | यह चुंबक 2000 से 3000 गोस की शक्ति वाले होने चाहिए | इन चुम्बकों का उत्तरी ध्रुव उत्तर दिशा की और, दक्षिणी ध्रुव दक्षिण दिशा की और आए, इस प्रकार से जमाए | सामान्यता 24 घंटो में चुम्बकांकित पानी तैयार हो जाता है | फिर भी यदि जल्दी उपयोग में लेना हो तो 12 से 14 घंटे तक प्रभावित जल भी लिया जा सकता है | 


यदि संक्रामक रोग का उपचार चल रहा हो तब उबाले हुए पानी को लोहचुम्बकांकित करके उपयोग में लाया जाए तो रोग का सामना आसानी से किया जा सकता है |

चुम्बकांकित पानी लेने की विधि :- 

दिन में चार बार, लगभग आधा-आधा गिलास जितना ले | बुखार में ज्यादा  बार न ले | छोटे बच्चों को केवल पाव गिलास पानी दे | 
ध्यान रखने योग्ये बातें  :-
1)  इस पानी का उपयोग सादे पानी की तरह ना करें | 
2) इस पानी को न गर्म करें और ना ही फ्रिज में रखें | 
3) पीने के अलावा इस पानी का उपयोग आंखें धोने, जख्म साफ करने तथा जलने पर भी किया जा सकता है | 
4) इसके अतिरिक्त अलग-अलग अंगो की चिकित्सा के लिए अलग-अलग शक्ति वाले चुंबक के बनाए गए साधन, पट्टे आदि मिलते हैं | उनके द्वारा भी दिन में दो-तीन बार चिकित्सा करने से शरीर के अंग क्रियाशील होकर स्वस्थ होने में मदद करते हैं |



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मंगलवार, 31 जनवरी 2017

नवजात शिशु की देखभाल करते वक्त ध्यान रखने योग्य बातों की जानकारी

नवजात शिशु की देखभाल करते वक्त बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है |  


नवजात शिशु की देखभाल करते वक्त ध्यान रखने योग्य बातों की जानकारी



नवजात शिशु के बिलकुल ऊपरी हिस्से पर एक सॉफ्ट जगह होती है | यह शरीर के अंदरूनी भाग का वह हिस्सा होता है जो अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है | इसे कभी भी जोर से ना दबाये | कभी इस जगह पर कोई उभार या सूजन दिखे या वहां की स्किन काफी टाइट दिखे तो तुरंत चिकित्सक से मिले | 

छोटे बच्चे कभी कभी खुद को अपने नाखूनों से नोच लेते हैं इसलिए एक नियमित अंतराल पर इनके तेजी से बढ़ते नाखूनों को काटते रहे | कोशिश करें कि इनके नाखून सोते समय काटे वरना यह अपने हाथ खींचेगे और इन्हें नुकसान हो सकता है |

नवजात शिशु स्पष्ट रूप से चीजों को देख नहीं पाते, लेकिन 20 से 25 सेंटीमीटर या 8 से 10 इंच तक की दूरी की चीजों को देख सकते हैं | इसलिए फीड कराते समय या बातें करने के दौरान मां खुद को इस दूरी तक ही रखें | 

नवजात शिशु के जननांग आमतौर पर बड़े होते हैं लेकिन धीरे-धीरे यह सामान्य हो जाते हैं | कभी-कभी बच्चियों की ब्रैस्ट से दूध और जननांग से डिस्चार्ज हो सकता है | इसे ले कर भयभीत ना हो | दरअसल मां के शरीर के हारमोंस का उनके रक्त में नाम मात्र मौजूदगी के कारण ऐसा होता है | कुछ दिनों में यह अपने आप ही समाप्त हो जाता है |

शुरुआती दिनों में आंखों को पोछने के लिए कॉटन बॉल्स का इस्तेमाल करें | दोनों आंखों के लिए अलग-अलग कॉटन बॉल्स होने चाहिए | आंखों को अंदर के कोने से बाहर की ओर साफ करें |

इनके कान और नाक में सेल्फ क्लीनिक तकनीक होती है |  इसलिए रुई या Buds को कान या नाक में डालने की गलती ना करें | 

चेहरा पूरी तरह साफ करने के बाद उसके सिर को थोड़ा उठाकर गर्दन के फोल्ड्स को साफ करें | इस जगह का सूखा रहना जरूरी है | 

उंगलियों को अच्छी तरह धोए व सुखाये |  

ऊपरी हिस्से साफ हो जाए तो नेप्पी एरिया की सफाई पर ध्यान दें | हल्के गुनगुने पानी या लोशन की मदद से बाटम को अच्छी तरह साफ करें | अच्छी तरह सूख जाए तो वहां हल्की सी क्रीम लगाएं ताकि बच्चे नेप्पी रेश से बचाया जा सके |

धन्यवाद



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शनिवार, 28 जनवरी 2017

विद्यार्थियों और दिमागी मेहनत करने वालो के लिए फायदेमंद बादाम वाला दूध

बादाम वाला दूध 

बादाम वाला दूध पीने के फायदे |


बादाम का दूध सर्दियों में विशेष रूप से लाभदायक होता है | यह दिमागी मेहनत करने वालों और विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है | यह दूध मस्तिष्क और स्मरण शक्ति की कमजोरी को दूर करने, आंखों के रोग जैसे आंखों की कमजोरी, आंखों का थकना, आंखों से पानी आना आदि दूर करता है | बल एवं वीर्य  को भी बढ़ाता है | इसे पीने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है | मस्तिष्क शूल, आधे सिर के दर्द में आराम मिलता है |

बनाने की विधि  :- बादाम के 7-8 दाने रात को किसी कांच के बर्तन में पानी में भिगोकर रख दीजिए | सुबह इनका छिलका उतार कर बारीक पीस लें | इसे उबलते हुए 250 ग्राम दूध में मिलाएं | 2-3 उबाल आने पर इसे नीचे उतार ले | ध्यान रहे इस दूध को ज्यादा ना उबालें अन्यथा इसके पाचक द्रव्य नष्ट हो जाते हैं | इसे नीचे उतारकर एक चम्मच देसी घी और स्वादानुसार बूरा या चीनी डालकर पीने लायक गरम रह जाने पर आवश्यकता अनुसार 15 दिन से 40 दिन तक लें |

सुबह सुबह खाली पेट इसकी को लेने के बाद दो-तीन घंटे तक कुछ भी न खाएं |

धन्यवाद



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गुरुवार, 26 जनवरी 2017

पीपल का पेड़ के आयुर्वेदिक और स्वास्थ्यवर्धक फायदे


पीपल का पेड़ के आयुर्वेदिक और स्वास्थ्यवर्धक फायदे 


पीपल एक धार्मिक महत्व का वृक्ष है इसकी पूजा अर्चना की जाती है एवं कामनाओं की पूर्ति के लिए याचना भी की जाती है |  मगर यह बहुत कम लोग जानते हैं कि पीपल के पौधे लोगों को स्वस्थ व रोग मुक्त रखने में सहायता करते हैं |पीपल के पेड़ में जड़ से लेकर पत्तों तक रोगों को दूर करने की अद्भुत क्षमता होती है | दूध जैसा सफेद दिखने वाला इसका रस हृदय रोग को दूर करता है |

आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी पीपल के औषधीय गुणों का महत्व बतलाया गया है | इसके कुछ औषधीय उपयोग जो बहुत सहज, सरल और निरापद है उनका आगे वर्णन किया गया है |

1) हार्ट अटैक: 

पीपल के 15 पत्ते लें जो हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों । प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें । पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें । इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार ।
इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती। दिल के रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें।

2) स्मरनशक्ती :- पीपल के पूरी तरह से पके हुए 5 फलों को प्रतिदिन खाने से स्मृति शक्ति बढ़ती है | साथ ही शरीर भी पुष्ट और ओजयुक्त हो जाता है |

3) गर्भधारण :- पीपल के सूखे फलों को कूट-पीसकर कपड़े से छान ले |जो स्त्री गर्भधारण नहीं करती हो उसे यह चूरन 5 ग्राम मात्रा में एक गिलास गुनगुने यानि हल्के गर्म दूध के साथ नियमित सेवन करने से गर्भधारण अवश्य होता है | केवल मासिक धर्म के दिनों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए |
शीघ्रपतन :- पुरुषों में शीघ्रपतन की शिकायत अक्सर हुआ करती है | पीपल के दुधिया रस की 11 बूंदे चीनी के एक बताशे में टपकाकर प्रतिदिन सेवन करने से सारा दोष मिट जाता है | कुछ महीनों तक इसका सेवन जारी रखना चाहिए |

4) श्वास रोग :- सांस फूलने पर पीपल की सूखी छाल के चूर्ण की 5 ग्राम मात्रा गुनगुने जल के साथ दिन में तीन बार लेने से काफी राहत मिलती है और धीरे-धीरे यह रोग शांत हो जाता है |

5) कब्ज :- कभी-कभी मल आंत में ही सूखने लगता है जिसके कारण सख्त कब्ज हो जाती है | पीपल के पत्तों को छाया में सुखाकर उसके चूर्ण को गुड़ के साथ मिलाकर गोलियां बना ले | रात को सोने से कुछ समय पूर्व दो गोली गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से कब्ज में शीघ्र लाभ होता है |

6) आंखों से पानी गिरना :- आंखों से पानी गिरने पर पीपल की पांच कोपले एक कटोरी पानी में रात को डाल देनी चाहिए और सुबह इसी पानी से आंखों को धोना चाहिए | कोपलो के रस में शुद्ध मधु डालकर सिलाई से आंखों में प्रतिदिन लगाने पर आंखों की लाली तथा जलन में काफी आराम मिलता है |
दांत दर्द :- पीपल के छोटे पत्तों को काली मिर्च के साथ पीसकर मटर के आकार की गोलियां बना ले | एक गोली प्रत्येक सुबह दांतो के तले दबा कर कुछ देर रखने से दातों का दर्द समाप्त हो जाता है |

7) नकसीर :- ग्रीष्म ऋतु में लोगों को प्राय नकसीर हो जाती है | 50 ग्राम पीपल की गोंद में मिश्री की समान मात्रा मिलाकर चूर्ण बना लेनी चाहिए | प्रत्येक सुबह इस चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा का सेवन करने से शरीर की गर्मी शांत हो जाती है तथा नकसीर से छुटकारा मिल जाता है |
पीलिया रोग :- पीपल और लसूड़े के 11 पत्ते अच्छी तरह पीसकर, उसमें सेंधा नमक मिलाकर 15 दिनों तक पीने से पीलिया रोग नष्ट हो जाता है |

8) पेट के कीड़े :- पीपल के पंचांग का चूर्ण एवं गुड़ समान मात्रा में मिलाकर सौंफ के रस के साथ दिन में दो बार सेवन करने से पेट के सारे कीड़े मर जाते हैं | बच्चों के लिए यह बहुत उपयोगी है |





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सोमवार, 23 जनवरी 2017

बच्चों के रोने के कारण और उनको संभालने के उपाय

बच्चों के रोने के कारण और उनको संभालने के उपाय



नवजात शिशु में फरिश्तों के समान होते हैं | शहद से भी मीठी किलकारियां, रुई से भी मुलायम गोल मटोल शरीर, खिलते फूलों से भी प्यारा चेहरा | इन के खुश होने पर पूरा घर खुशियों से भर उठता है और कोई भी नहीं चाहता कि यह बच्चे रोए |


आइये इस वीडियो में आपको बच्चों के रोने की कुछ कारण को उनको चुप कराने के कुछ तरीकों के बारे में बताते हैं :-



1) बच्चों के रोने पर अक्सर माता-पिता चिंतित हो जाते हैं | जब बच्चा रो रहा हो तो सबसे पहले उसकी नैपी चेक करें | कई बार नैपी भी गीली होने पर बच्चे असहज महसूस होने पर रोना शुरु कर देते हैं |

2) कई बार जब बच्चा सोते हुए रोने लगे तो चेक करें कि कहीं बेड पर कोई चीज तो नहीं रखी जो उसको चुभ रही हो | कई बार बेडशीट के बेतरतीब होने पर भी बेबी रोना शुरु कर देते हैं |  इसलिए उसके बिछावन को अच्छी तरीके से बिछाय |

3) बच्चे अगर कम कपड़े में हो या कपड़ों से लदे हों तो ठंड या गर्मी महसूस होने पर कई बार असहजता के कारण रोना शुरु कर देते हैं | मौसम को देखते हुए उनके कपड़ों को कम या ज्यादा करें |

4) बेबी जब रो रहा हो तो उसे अपने कंधे से लगा ले | उससे बातें करें या गुनगुना कर कुछ सुनाएं | कई बार असुरक्षा की भावना के कारण बच्चे रोना शुरु कर देते हैं लेकिन अपनी मां का स्पर्श पाते ही वे सामान्य हो जाते हैं |

5) बेबी को सोने के लिए छोड़कर कमरे से बाहर निकलने से पहले उसके बेड पर कुछ सॉफ्ट टॉयज रख दे ताकि नींद खुलने पर खुद को अकेला पाकर वह घबरा कर रोने ना लगे |

6) भूख लगने पर भी बच्चे रोते हैं इसलिए जब बच्चा रोए तो उसे सबसे पहले खाने को कुछ दे |

7) बच्चे को पोटी करने में तकलीफ हो रही हो तो कब्ज हो सकती है | ऐसे में बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं | उसकी डाइट में सब्जी और फलों को शामिल करें | बच्चे को बार बार पोट्टी आ रही हो तो चिकित्सक के पास जाने से पहले उसे जीवन रक्षक घोल पिलाये वरना उसके शरीर में पानी की कमी हो जाएगी | कुछ लोगों की यह धारणा है कि दांत निकलने के दौरान बच्चे का पेट खराब हो जाता है जबकि ऐसा नहीं है | आमतौर पर इस समय बच्चे अपनी उंगलियों को बार-बार मुंह में डालते हैं और इधर उधर की चीजों को भी उठा कर मुंह में रख लेते हैं | इससे संक्रमण होने से पेट खराब हो सकता है |
 फीड कराने वाली मां बच्चे को अपना फीड देती रहे तो और चिकित्सक से संपर्क करें |

8) कई बार बच्चे कान में संक्रमण होने पर जोर जोर से रोना शुरू कर देते हैं और हाथों से कान को खींचने लगते हैं | पेरासिटामोल सिरप से बेबी को रिलीफ मिलेगा लेकिन कान के संक्रमण को ठीक करने के लिए चिकित्सक से मिले |




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शनिवार, 21 जनवरी 2017

स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक भोजन, जल व वायु

Image result for bhojan, jal or vaiyuप्रकृति की सारी संरचनाओं में शरीर की रचना एक बड़ा कठिन, जटिल किंतु बहुत सुंदर विषय है | यह एक बड़ा भारी कल है जिस को चलाने वाली एक शक्ति इसमें रहती है | साधारणतया हम कहते हैं कि यह मेरा शरीर है | इसमें इस बात का आभास होता है कि मैं कोई और है और शरीर कुछ और | 
इस कल को चलने के लिए आवश्यक है संतुलित भोजन, जल व वायु और इस कल द्वारा होने वाले कार्यों के लिए इसे चाहिए बुद्धि का विकास, बल और अवसर | 
जो कुछ भी हम खाते हैं हम उसको भोजन कहते हैं | एक साधारण भ्रम जो जनता में वर्षों से फैला हुआ है कि शरीर को स्वस्थ व बलिष्ठ बनाने के लिए मूल्यवान भोजन की आवश्यकता होती है, इस विचार में कदापि भी सत्यता नहीं है |  भोजन के ज्ञान से निर्धन से निर्धन मनुष्य उसको पोषक तथा बलवर्धक बना सकता है और भोजन की अज्ञानता से धनवान से धनवान मनुष्य उसको विष के समान बना सकता है |  सत्यता इस बात पर है कि उचित समय पर, उचित परिमाण में,  उचित रूप में निश्चित होकर खाया हुआ भोजन सदा ही लाभदायक रहता है | 
यदि निराहार रहकर मनुष्य 20 दिन तक जीवित रह सकता है तो निर्जल व निराहार रहकर केवल 5 दिन तक | कुछ भी हो जल शरीर का एक अति आवश्यक अवयव है | पानी शरीर के भार का 66 प्रतिशत होता है | पानी के बिना जीवित रहना दुर्लभ है | सादा शीतल जल ही शरीर के लिए सदा लाभदायक होता है | बर्फ मिला पानी हानिकारक होता है | दिन भर में मनुष्य को लगभग 3 किलो जल अवश्य इस कल में डालना चाहिए, जिस की मात्रा सर्दी गर्मी में कम या ज्यादा की जा सकती है |
निराहार व निर्जल रहकर तो फिर भी 5 दिन जीवित रहा जा सकता है परंतु वायु के बिना तो एक पल भी जीवित रहना दुर्लभ है | इसी कारण शरीर के लिए वायु अति आवश्यक है | जो मनुष्य बंद कोठियों में और सकरी गलियों में रहते हैं वे सदैव किसी न किसी रोग से ग्रस्त रहते हैं | प्रतिदिन दो चार बार शुद्ध वायु में आकर 2-4 लंबी-गहरी श्वास लेने से बहुत से रोगों के होने की संभावना समाप्त हो जाती है | 
यह वह वस्तुए है जो इस शरीर रूपी कल के चलते रहने के लिए आवश्यक है | जिनकी सहायता से यह चलती हुई कल महान से महान कार्य कर सकती है |

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जोड़ो का दर्द जब जब सताये तो ये तरिके अपनाये

जोड़ो का दर्द जब जब सताये तो ये तरिके अपनाये :-


गलत खान पान की वजह से आज कल तक़रीबन सभी लोग जोड़ों के दर्द के रोग से पीड़ित है | इस वीडियो में जोड़ों के दर्द को दूर करने के कुछ आयुर्वेदिक उपाय बताने जा रहे है |

1)  लहसुन पीस कर लगाने से बदन के हर अंग का दर्द जाता रहेगा, किंतु इसे जल्द हटा लेना चाहिए नहीं तो फफोले पड़ने का भय रहता है |

2)  राई को पीसकर उसका लेप करने से हर दर्द मिट जाता है |

3)  गठिया के दर्द में अरंडी का छिला हुआ बीज पहले दिन एक, दूसरे दिन में दो, इस प्रकार सात बीज तक खाये फिर प्रतिदिन एक-एक कम करके एक बीज पर ले आए | इसे गठिया का दर्द हमेशा के लिए गायब हो जाएगा |

4) अजवायन को पानी में डालकर पका लें और उस पानी की भाप दर्द वाले स्थान पर दें | देखते ही देखते दर्द काफूर हो जाएगा |

5)  कड़वे तेल में अजवायन और लहसुन जलाकर उस तेल की मालिश करने से हर प्रकार के दर्द से छुटकारा मिल जाएगा | 


6)  कनेर की पत्ती उबालकर पीस लें और मीठे तेल में मिलाकर लेप करें | इससे दर्द जाता रहेगा |





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सोमवार, 16 जनवरी 2017

प्याज के गुणों का भरपूर फायदा लेने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखे |...


भोजन में अति प्राचीन काल से प्याज का उपयोग होता रहा है | प्याज शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है | प्याज वात, पित्त और कफ, इन तीनों विकारों में गुणकारी है | 


मगर सभी औषधियों की तरह इसका प्रयोग भी संभलकर करना चाहिए नहीं तो प्याज कई बीमारियों का कारण बन सकता है |

पाचन शक्ति और प्रकृति का ख्याल रखकर ही प्याज का उपयोग करना चाहिए | कुछ व्यक्ति प्याज के पोषक तत्व को पचा नहीं सकते | प्याज के उपयोग से उन्हें गैस हो जाती है | उन्हें प्याज को पचाने के लिए ज्यादा श्रम करना चाहिए या प्याज का कम मात्रा में उपयोग करना चाहिए | 

प्याज का अत्याधिक और निरंतर सेवन करने से रक्त तप जाता है और फोड़े, फुंसियां होने की संभावना रहती है | वीर्य पतला पढ़कर स्खलित हो जाता है | 

प्याज और दूध का एक साथ सेवन नहीं करना चाहिए | प्याज और दूध इन दोनों के सेवन के बीच में कम से कम 3-4 घंटे का अंतर होना चाहिए | दूध पीने के पहले या बाद में तुरंत ही प्याज खाने से कोढ़, रक्त दोष आदि विकार हो सकते हैं | 

आंखें दुखती हो तब भी प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए | इससे आंखों की पीड़ा और बढ़ जाती है | 

प्याज को वायु नाशक माना गया है परंतु उस को पकाने, उस की सब्जी बनाने से वह वायु कारक बन जाता है जबकि कच्चा प्याज वायु नहीं करता |

काफी वक्त से काट कर रखे हुए प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए | प्याज को काटकर तुरंत ही खा लेना चाहिए काट कर रख छोड़ने पर उसमें रहा हुआ तत्व उड़ जाते हैं |

ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखकर हम गुणकारी प्याज के गुणों का भरपूर फायदा उठा सकते हैं | 

धन्यवाद





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रविवार, 15 जनवरी 2017

कब्ज दूर करने के 12 घरेलु उपाय



कब्ज दूर करने के 12 घरेलु उपाय


1) यदि आप बिना छाने आटे की मोटी-रोटी चबा-चबा कर खाएं तो कभी कब्ज नहीं होगी |

2) 20 ग्राम त्रिफला रात को ढाई सौ ग्राम पानी में भिगोकर रखें सुबह शौच क्रिया करने के पूर्व त्रिफला का निथरा हुआ जल पिए | कब्ज दूर हो जाएगी |

3) कुट्टी हुई हरहड़ रात को फाँक कर ढाई सौ ग्राम गुनगुना पानी पीने से सुबह उठते ही पेट साफ हो जाएगा | 

4) गाजर, मूली, शलगम, टमाटर, पालक की पत्तियां, चौलाई और बीट की पत्तियों के सलाद में नारियल की गिरी के छोटे-छोटे टुकडे मिलाकर, भोजन के साथ या उसके बाद खाएं, पुराना कब्ज भाग जाएगा |

5) 7-8 अंजीर लेकर गर्म पानी में उबालकर उस का काढ़ा बना ले | रात को सोते समय यह काढ़ा पिएं | तीन-चार दिनों तक लगातार पीने से कब्ज की शिकायत हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी | पर यदि अधिक दस्त आने लगे तो काढ़ा पीना तुरंत  बंद कर दें |

6) सुबह उठकर खाली पेट दो सेब दांतो से काट कर खाए | कब्ज नहीं रहेगा |

7) बारीक कपड़े पर पुल्टिस की तरह गीली मिट्टी लपेट कर रात भर अपने पेट के निचले हिस्से पर रखिए | अवश्य लाभ होगा |

 8) रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद एक गिलास ताजे  पानी में मिलाकर पिएं कब्ज नहीं रहेगा |

9) प्रातः काल बिना कुछ खाए 10 दाने काजू , 5 दाने मुनक्का खाने से कब्ज दूर होता है |

10) रात को नींबू काट कर रख दे | सवेरे उस की शिकंजी बना कर पी लें | इसे पीने से कब्ज दूर होगा |

11) दो बड़े पीले पके संतरों का रस सुबह नाश्ते से भी पहले पिए | एक हफ्ते में पुराने से पुराना कब्ज दूर हो जाएगा |

12) खाना खाने के एकदम बाद एक कप गरमा गरम उबलता हुआ पानी घूंट-घूंट करके पीने से कब्ज और पेट से संबंधित शिकायतें दूर होती है |



खाली पेट काजू और शहद खाने के फायदे 
http://khusi123.blogspot.com/2016/12/blog-post_23.html






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सोमवार, 9 जनवरी 2017

लहसुन के रस से बनने वाली 7 औषधिया और उनके लाभ

लहसुन को कई तरीकों से इस्तेमाल में लाया जा सकता है और हर एक तरीके से लहसुन गुणकारी गुणकारी ही है |


दुबले व्यक्तियों को असगंध के चूर्ण के साथ गले के रोगों में मुलेठी के साथ गुल्म यानी ट्यूमर के रोगी को तिल के तेल के साथ, T.B.  यानी छय के रोगी को घी और दूध के साथ, अर्श यानि बवासीर के रोगी को कुटज की छाल के साथ, पेट के कीड़ों के इलाज के लिए बायविडंग के चूर्ण के साथ, खांसी और सांस के रोगी को त्रिफला के चूर्ण के साथ लहसुन का सेवन हितकारी होता है |

लहसुन का रस कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को दूर करने में लाभदायक होता है | इस वीडियो में लहसुन के रस से बनने वाली औषधियों के तरीकों और उनके लाभ के बारे में जानकारी देंगे |


  1. आधासीसी यानी आधे सिर के दर्द में लाभकारी औषधि बनाने का तरीका 
  2. जख्म को ठीक करने में लाभदायक औषधि बनाने का तरीका 
  3. क्षयरोग यानी टीबी की लाभकारी औषधि बनाने का तरीका 
  4. काली खांसी की रामबाण औषधि बनाने का तरीका 
  5. दाद को मिटाने की औषधि बनाने का तरीका 
  6. दमा और सांस के रोगों की लाभकारी औषधि बनाने का तरीका  
  7. सर्दी जुकाम का रामबाण औषधि बनाने का तरीका 



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