खाने की चीज़ों का गलत सयोंग बिगाड़ सकता है आपकी सेहत
कुछ खाने पीने की वस्तुएं अकेली तो अमृत के समान गुणकारी होती है किंतु अन्य वस्तुओं के साथ मिल जाने पर वह जहर का काम करती है | कुछ द्रव्य या वस्तुएं परस्पर गुण विरोधी, कुछ द्रव्य संयोग विरुद्ध और कुछ द्रव्य संस्कार विरुद्ध, कुछ द्रव्य देशकाल और मात्रा आदि से विरुद्ध होते हैं | गुण विरोधी - जैसे मछली और दूध का एक साथ सेवन करने से सफेद कुष्ठ दाग होने का भय रहता है | इसी प्रकार संयोग विरुद्ध - जैसे दूध और मूली | संस्कार विरुद्ध - जैसे कांसे के बर्तन में 10 दिन रखा हुआ घी | काल विरुद्ध - जैसे शीतकाल में शीतल और रूखी वस्तुओं का सेवन या रात में सत्तू का सेवन आदि | परस्पर विरोधी खाने पीने से पदार्थों के प्रयोग से बचने से अनेक रोगों से सहज ही बचा जा सकता है | भोजन का गलत मिश्रण शरीर को हानि पहुंचाता है | कुपोषण होता है तथा शरीर में गैस तथा अन्य विकार उत्पन्न होते हैं | इसलिए बेमेल भोजन से बचें | यदि आप प्रोटीन खाते हैं तो उसके साथ मक्खन, घी, तेल आदि चिकनी वस्तुए न खाएं | इसके अतिरिक्त प्रोटीन के साथ नींबू, सिरका, अचार प्रयोग ना करें | इन को प्रयोग करने से आंतों में सड़न होती है और पाचन क्रिया धीमी हो जाती है | मल विकृत अवस्था में निष्कासित होता है | मीठे फल तथा खट्टे फल एक साथ न खाएं | मिक्स फ्रूट चाट का त्याग करें | इनके इनकी वजह से पाचन क्रिया में व्यवधान उत्पन्न होता है | एक साथ कई प्रकार के प्रोटीन ना ले | अधिक प्रोटीन लेना भी सेहत के लिए हानिकारक है जैसे दालें, दूध, सूखे मेवे भी एक बार में ही लेना ठीक नहीं है | प्रोटीन के साथ मीठी वस्तुएं बिल्कुल भूल कर भी ना खाएं जैसे गुड, चीनी, शहद, मीठे फल न ले | सब की पाचन क्रिया का समय भिन्न भिन्न होता है | मीठी चीजे जल्दी पचती हैं और प्रोटीन के पचने का वक्त अलग है | श्वेता सार के साथ भी मीठी वस्तु न खाएं तथा श्वेतसार के साथ प्रोटीन ना ले | इनको साथ लेने से पाचन क्रिया में कठिनाई होती है | श्वेता सार के साथ खट्टे फल आदि का प्रयोग ना करें | जैसे इमली, संतरा आदि क्योंकि दोनों को पचाने के समय में भिन्नता है | अतः श्वेतसार जल्दी नहीं पच पाएगा | सब्जी के साथ मीठे फल ना ले | फल शीघ्र पचते हैं जबकि सब्जी देर से | दूध के साथ मीठे फल, चीनी का प्रयोग न करें | शहद डालकर दूध पी सकते हैं | फीका दूध पिए तो सबसे अच्छा है | पानी वाले फल, खरबूजे, तरबूज़ के साथ अन्य चीज न खाये तथा पानी तो भूलकर भी न पिए | इसके अतिरिक्त बहुत अच्छा होगा की आप बिस्कुट, डिब्बा बंद भोजन, सभी मेदे की बनी वस्तुए, आचार, सिरका, तले पदार्थो से अपने आप को दूर रखें | यह खाद्य पदार्थ निर्जीव भोजन होता है जो पाचन क्रिया को प्रभावित करता है ओर सेहत के लिए नुकसानदायक है | दिन में चाय, कॉफी लोग बहुत पीते हैं | यह भूख को कम करते हैं तथा गैस, एसिडिटी को बनाते हैं | पेट के लिए यह दोनों शरीफ शत्रु है जो धीरे-धीरे कमाल दिखाते हैं | आइए आपको कुछ और हानिकारक या अहितकारी सयोंग के बारे में बताते हैं :- दूध के साथ दही, नमक, इमली, खरबूजा, बेलफल, नारियल, मूली और मूली के पत्ते, तोरई, गुड या गुड का हलवा, तिलकुट, तेल, कुलथी, सत्तू, खट्टे फल, खटाई आदि नहीं खानी चाहिए | दही के साथ खीर, दूध, पनीर, गरम खाना या गरम वस्तुएं, खरबूजा इत्यादि नहीं खाना चाहिए | खीर के साथ खिचड़ी, कटहल, खटाई, सत्तू, शराब आदि नहीं लेना चाहिए | शहद के साथ मूली, अंगूर, वर्षा का जल, गर्म वस्तु, गर्म जल आदि का सयोंग अहितकारी होता है | गर्म जल के साथ शहद नहीं लेना चाहिए | शीतल जल के साथ मूंगफली, घी, तेल, तरबूज, अमरूद, जामुन, खीरा, ककडी, नेजा, गर्म दूध या गर्म खाद्य पदार्थ, आदि का सहयोग अहितकारी होता है | घी के साथ शहद बराबर मात्रा में नहीं लेना चाहिए | खरबूजे के साथ लहसुन, मूली के पत्ते, दूध व दही नहीं खाना चाहिए | तरबूज के साथ पुदीना, शीतल जल नहीं पीना चाहिए चाय के साथ ककड़ी या खीरा नहीं खाना चाहिए | चावल के साथ सिरका नहीं खाना चाहिए | यह अहितकारी संयोग है | इनको लेने से शरीर में अलग-अलग तरह की बीमारियां होने का डर रहता है | For More Information Visit our Website :-
1 से 3 साल || बच्चे को क्या खिलाये || खाने की आदत कैसे डाले
1 से 3 साल तक के बच्चों के माता-पिता अक्सर यह शिकायत करते देखे जाते हैं कि " क्या करें बच्चा कुछ खाता ही नहीं है" | खाने के लिए उसके आगे कुछ भी रख दिया जाए तो वह मां की धैर्य की इतनी परीक्षा लेता है कि बस पूछो ही नहीं | 1 से 3 साल के बच्चे खाने पीने के मामले में बेहद चूजी होते हैं | यह वह समय होता है जब बच्चा धीरे धीरे चलना सीखता है | चलना सीखने के साथ ही उसकी भोजन में रुचि कम हो जाती है | यही वजह है कि उसकी भूख भले ही कम ना हो लेकिन वह दिन में हर बार खाने में कम खाता है | हालाकी कहीं पेरेंट्स को तो लगता है कि बच्चा कम खाने के कारण कहीं कमजोर ना हो जाए, लेकिन उसके खाने की आदतों में बदलाव के बावजूद बच्चे को हर समय कुछ न कुछ खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए | मां की दूध के साथ साथ गाय-भैंस का दूध, फलों के रस, हरी सब्जियों के सूप आदि दें | आधा पका खाना जैसे चावल पतली की आलू व सब्जियां पतली खिचड़ी आदि देना शुरू करें गाजर व आलू को उबालकर खूब मसल कर दें केला दूध में फेट कर चावल के मुरमुरे पटोलिया आदि भी दे सकते हैं और जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाए उसे खिचड़ी दलिया बिना मसाले की दाल और सब्जियां दाल भात जांच दही सूजी इडली साबूदाना बिना मसाले की दाल में रोटी चूर कर खिलाना पहले कम मात्रा में और फिर धीरे धीरे उम्र और बच्चे की भूख के अनुसार खाद्य पदार्थ की मात्रा बढ़ा बढ़ाते जाएं धीरे-धीरे बिस्किट गाजर आदि पकड़कर खाने को दे दो ध्यान रखे बच्चे का आहार बच्चे को ऐसा बना दे जो गले में अटक जाए बच्चे को आधा पक्का भोजन जल्दी देना शुरू करें :- सब्जियों को थोड़ा पकाकर उसे उसकी प्यूरी बनाकर खिलाने की शुरुआत जल्दी करनी चाहिए | विभिन्न अध्ययनों से इस बात की पुष्टि होती है कि बच्चों को अगर इस तरह का खाना देर से खिलाया जाए तो वह खाने पीने के मामले में ज्यादा चूजी हो जाते हैं | बच्चा जब 6 से 9 माह का हो तो उसे चबाने वाले इस तरह के मुलायम फूड आइटम्स देने चाहिए ताकि उसकी खाने पीने की आदत सही बन सके | कम मात्रा में परोसे :- छोटे बच्चे को जितनी जल्दी भूख लगती है, उतनी ही जल्दी उसका पेट भी भर जाता है, इसलिए कोई भी चीज उसे पहली बार थोड़ी मात्रा में दे | देख यदि वह दोबारा उसे खाने की मांग करता है तो और दे | इस से न केवल बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार होगा बल्कि कम मात्रा में खाना खाने से बच्चे के रक्त में शुगर लेवल भी सामान्य रहता है और उसके मूड में भी पल पल बदलाव नहीं आता | कभी-कभी स्नेक्स दें :- बच्चे को दिन में कई बार भूख लगती है और उसे कई बार कुछ न कुछ खाने के लिए देना पड़ता है | उसे दिन में तीन बार भोजन और दो से तीन बार स्नैक्स देना चाहिए | लेकिन याद रखें कि अगर वह कुछ खाने से मना कर दे या आपसे कहे कि मेरा पेट भर गया है तो उसके बाद उसे दोबारा कुछ भी खाने के लिए न कहें | स्टोर करें :- बच्चे की मनपसंद खाने की विभिन्न चीजें और ड्रिंक्स की एक जगह बनाएं और वहाँ पर रखे, और वह क्या खाना पीना चाहता है उसे दिखाएं, इस तरीके से भी बच्चे भूख होने पर कुछ ना कुछ खा लेते हैं यानी बच्चे का फूड के प्रति, खाने के प्रति एक हेल्दी नजरिया बनता है | भोजन को रुचिकर बनाएं :- बच्चे को खाने के लिए दी जाने वाली चीजों को इस तरह बनाएं कि बच्चा खुद ब खुद उन्हें खाने के लिए प्रोत्साहित हो | उसके भोजन में रंगों का इस्तेमाल करें और विविधता लाएं | उसे जिन बर्तनों में भोजन परोसना है, वह कप प्लेट और कटलरी जो उसे पसंद हो वह दे | अगर आप उसके लिए केक बना रही है तो केक बनाने के दौरान उस से उसमें मैदा या आटा डलवाएं और खाना पकाने के दौरान उससे उस खास चीज के बारे में बताएं कि वह बनने के बाद कितनी स्वादिष्ट होगी | बदल बदल कर खिलाएं :- बच्चे को सुबह के नाश्ते लंच और रात के खाने, इन सब में कब क्या खाना चाहिए, इसके बारे में बताएं | उदाहरण के तौर पर यदि वह सुबह के समय फल खाना चाहता है और रात के समय आमलेट ले, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है | बच्चे के लिए मॉडल बने :- कई माता पिता खाने के विषय में खुद ही चूजी होते हैं | वह इस बात को समझ नहीं पाते की जब वह खुद खाने को लेकर ना-नुकुर करते हैं या खाने की चीजों को लेकर नुक्ताचीनी करते हैं तो भला उन चीजों को उनके बच्चे कैसे आसानी से खा सकते हैं | अपनी पसंद के अनुसार बच्चे की खाने-पीने की चीजें निर्धारित ना करें और ना ही अपने स्वाद के अनुरूप उन्हें खाने के लिए दें क्योंकि बच्चे के स्वाद और आपके स्वाद में काफी फर्क है इसलिए जरूरी नहीं है कि वह आपकी पसंद की चीजें खाएं | For More Information Visit our Website :- https://healthcareinhindi.com/
रक्तधमनियों में जमी हुई कोलेस्ट्रॉल को दूर करके ह्रदय की कार्यक्षमता बढ़ाता है चुम्बकीय पानी
पानी को चुंबक से चार्ज करने पर उसमे औषधीय गुण आ जाते हैं | यह पानी औषधीय गुणों से युक्त होता है |स्वस्थ व्यक्ति उसका उपयोग करके पाचन क्रिया को सुधार सकता है और थकान मिटा सकता है |
यह पानी रक्तवाहिनियों मैं कोलेस्ट्रॉल को जमा होने से रोकता है तथा जमी हुई कोलेस्ट्रॉल को दूर कर के हृदय की कार्य क्षमता को बढ़ाता है | यह पानी मूत्रल होकर मूत्राशय, मूत्र पिंड तथा पित्ताशय की तकलीफ़ों में उपयोगी है | इस पानी के द्वारा पथरी निकल जाती है |स्त्रियों की मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है एवं गर्भाशय की तकलीफो से भी राहत मिलती है | बुखार, दर्द, दमा, सर्दी, खासी आदि में, बालकों के विकास में तथा जहर के असर को मिटाने के लिए भी यह पानी उपयोगी है | पानी को चुंबकित करने की विधि :- कांच की बोतल में पानी भरकर डॉट लगाकर फिट करके उसकी एक और उत्तर ध्रुव दूसरी और दक्षिण ध्रुव आए इस प्रकार से चुंबक लगाएं | यह चुंबक 2000 से 3000 गोस की शक्ति वाले होने चाहिए | इन चुम्बकों का उत्तरी ध्रुव उत्तर दिशा की और, दक्षिणी ध्रुव दक्षिण दिशा की और आए, इस प्रकार से जमाए | सामान्यता 24 घंटो में चुम्बकांकित पानी तैयार हो जाता है | फिर भी यदि जल्दी उपयोग में लेना हो तो 12 से 14 घंटे तक प्रभावित जल भी लिया जा सकता है | यदि संक्रामक रोग का उपचार चल रहा हो तब उबाले हुए पानी को लोहचुम्बकांकित करके उपयोग में लाया जाए तो रोग का सामना आसानी से किया जा सकता है | चुम्बकांकित पानी लेने की विधि :- दिन में चार बार, लगभग आधा-आधा गिलास जितना ले | बुखार में ज्यादा बार न ले | छोटे बच्चों को केवल पाव गिलास पानी दे | ध्यान रखने योग्ये बातें :- 1) इस पानी का उपयोग सादे पानी की तरह ना करें | 2) इस पानी को न गर्म करें और ना ही फ्रिज में रखें | 3) पीने के अलावा इस पानी का उपयोग आंखें धोने, जख्म साफ करने तथा जलने पर भी किया जा सकता है | 4) इसके अतिरिक्त अलग-अलग अंगो की चिकित्सा के लिए अलग-अलग शक्ति वाले चुंबक के बनाए गए साधन, पट्टे आदि मिलते हैं | उनके द्वारा भी दिन में दो-तीन बार चिकित्सा करने से शरीर के अंग क्रियाशील होकर स्वस्थ होने में मदद करते हैं |