मंगलवार, 31 जनवरी 2017

नवजात शिशु की देखभाल करते वक्त ध्यान रखने योग्य बातों की जानकारी

नवजात शिशु की देखभाल करते वक्त बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है |  


नवजात शिशु की देखभाल करते वक्त ध्यान रखने योग्य बातों की जानकारी



नवजात शिशु के बिलकुल ऊपरी हिस्से पर एक सॉफ्ट जगह होती है | यह शरीर के अंदरूनी भाग का वह हिस्सा होता है जो अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है | इसे कभी भी जोर से ना दबाये | कभी इस जगह पर कोई उभार या सूजन दिखे या वहां की स्किन काफी टाइट दिखे तो तुरंत चिकित्सक से मिले | 

छोटे बच्चे कभी कभी खुद को अपने नाखूनों से नोच लेते हैं इसलिए एक नियमित अंतराल पर इनके तेजी से बढ़ते नाखूनों को काटते रहे | कोशिश करें कि इनके नाखून सोते समय काटे वरना यह अपने हाथ खींचेगे और इन्हें नुकसान हो सकता है |

नवजात शिशु स्पष्ट रूप से चीजों को देख नहीं पाते, लेकिन 20 से 25 सेंटीमीटर या 8 से 10 इंच तक की दूरी की चीजों को देख सकते हैं | इसलिए फीड कराते समय या बातें करने के दौरान मां खुद को इस दूरी तक ही रखें | 

नवजात शिशु के जननांग आमतौर पर बड़े होते हैं लेकिन धीरे-धीरे यह सामान्य हो जाते हैं | कभी-कभी बच्चियों की ब्रैस्ट से दूध और जननांग से डिस्चार्ज हो सकता है | इसे ले कर भयभीत ना हो | दरअसल मां के शरीर के हारमोंस का उनके रक्त में नाम मात्र मौजूदगी के कारण ऐसा होता है | कुछ दिनों में यह अपने आप ही समाप्त हो जाता है |

शुरुआती दिनों में आंखों को पोछने के लिए कॉटन बॉल्स का इस्तेमाल करें | दोनों आंखों के लिए अलग-अलग कॉटन बॉल्स होने चाहिए | आंखों को अंदर के कोने से बाहर की ओर साफ करें |

इनके कान और नाक में सेल्फ क्लीनिक तकनीक होती है |  इसलिए रुई या Buds को कान या नाक में डालने की गलती ना करें | 

चेहरा पूरी तरह साफ करने के बाद उसके सिर को थोड़ा उठाकर गर्दन के फोल्ड्स को साफ करें | इस जगह का सूखा रहना जरूरी है | 

उंगलियों को अच्छी तरह धोए व सुखाये |  

ऊपरी हिस्से साफ हो जाए तो नेप्पी एरिया की सफाई पर ध्यान दें | हल्के गुनगुने पानी या लोशन की मदद से बाटम को अच्छी तरह साफ करें | अच्छी तरह सूख जाए तो वहां हल्की सी क्रीम लगाएं ताकि बच्चे नेप्पी रेश से बचाया जा सके |

धन्यवाद



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शनिवार, 28 जनवरी 2017

विद्यार्थियों और दिमागी मेहनत करने वालो के लिए फायदेमंद बादाम वाला दूध

बादाम वाला दूध 

बादाम वाला दूध पीने के फायदे |


बादाम का दूध सर्दियों में विशेष रूप से लाभदायक होता है | यह दिमागी मेहनत करने वालों और विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है | यह दूध मस्तिष्क और स्मरण शक्ति की कमजोरी को दूर करने, आंखों के रोग जैसे आंखों की कमजोरी, आंखों का थकना, आंखों से पानी आना आदि दूर करता है | बल एवं वीर्य  को भी बढ़ाता है | इसे पीने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है | मस्तिष्क शूल, आधे सिर के दर्द में आराम मिलता है |

बनाने की विधि  :- बादाम के 7-8 दाने रात को किसी कांच के बर्तन में पानी में भिगोकर रख दीजिए | सुबह इनका छिलका उतार कर बारीक पीस लें | इसे उबलते हुए 250 ग्राम दूध में मिलाएं | 2-3 उबाल आने पर इसे नीचे उतार ले | ध्यान रहे इस दूध को ज्यादा ना उबालें अन्यथा इसके पाचक द्रव्य नष्ट हो जाते हैं | इसे नीचे उतारकर एक चम्मच देसी घी और स्वादानुसार बूरा या चीनी डालकर पीने लायक गरम रह जाने पर आवश्यकता अनुसार 15 दिन से 40 दिन तक लें |

सुबह सुबह खाली पेट इसकी को लेने के बाद दो-तीन घंटे तक कुछ भी न खाएं |

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गुरुवार, 26 जनवरी 2017

पीपल का पेड़ के आयुर्वेदिक और स्वास्थ्यवर्धक फायदे


पीपल का पेड़ के आयुर्वेदिक और स्वास्थ्यवर्धक फायदे 


पीपल एक धार्मिक महत्व का वृक्ष है इसकी पूजा अर्चना की जाती है एवं कामनाओं की पूर्ति के लिए याचना भी की जाती है |  मगर यह बहुत कम लोग जानते हैं कि पीपल के पौधे लोगों को स्वस्थ व रोग मुक्त रखने में सहायता करते हैं |पीपल के पेड़ में जड़ से लेकर पत्तों तक रोगों को दूर करने की अद्भुत क्षमता होती है | दूध जैसा सफेद दिखने वाला इसका रस हृदय रोग को दूर करता है |

आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी पीपल के औषधीय गुणों का महत्व बतलाया गया है | इसके कुछ औषधीय उपयोग जो बहुत सहज, सरल और निरापद है उनका आगे वर्णन किया गया है |

1) हार्ट अटैक: 

पीपल के 15 पत्ते लें जो हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों । प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें । पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें । इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार ।
इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती। दिल के रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें।

2) स्मरनशक्ती :- पीपल के पूरी तरह से पके हुए 5 फलों को प्रतिदिन खाने से स्मृति शक्ति बढ़ती है | साथ ही शरीर भी पुष्ट और ओजयुक्त हो जाता है |

3) गर्भधारण :- पीपल के सूखे फलों को कूट-पीसकर कपड़े से छान ले |जो स्त्री गर्भधारण नहीं करती हो उसे यह चूरन 5 ग्राम मात्रा में एक गिलास गुनगुने यानि हल्के गर्म दूध के साथ नियमित सेवन करने से गर्भधारण अवश्य होता है | केवल मासिक धर्म के दिनों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए |
शीघ्रपतन :- पुरुषों में शीघ्रपतन की शिकायत अक्सर हुआ करती है | पीपल के दुधिया रस की 11 बूंदे चीनी के एक बताशे में टपकाकर प्रतिदिन सेवन करने से सारा दोष मिट जाता है | कुछ महीनों तक इसका सेवन जारी रखना चाहिए |

4) श्वास रोग :- सांस फूलने पर पीपल की सूखी छाल के चूर्ण की 5 ग्राम मात्रा गुनगुने जल के साथ दिन में तीन बार लेने से काफी राहत मिलती है और धीरे-धीरे यह रोग शांत हो जाता है |

5) कब्ज :- कभी-कभी मल आंत में ही सूखने लगता है जिसके कारण सख्त कब्ज हो जाती है | पीपल के पत्तों को छाया में सुखाकर उसके चूर्ण को गुड़ के साथ मिलाकर गोलियां बना ले | रात को सोने से कुछ समय पूर्व दो गोली गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से कब्ज में शीघ्र लाभ होता है |

6) आंखों से पानी गिरना :- आंखों से पानी गिरने पर पीपल की पांच कोपले एक कटोरी पानी में रात को डाल देनी चाहिए और सुबह इसी पानी से आंखों को धोना चाहिए | कोपलो के रस में शुद्ध मधु डालकर सिलाई से आंखों में प्रतिदिन लगाने पर आंखों की लाली तथा जलन में काफी आराम मिलता है |
दांत दर्द :- पीपल के छोटे पत्तों को काली मिर्च के साथ पीसकर मटर के आकार की गोलियां बना ले | एक गोली प्रत्येक सुबह दांतो के तले दबा कर कुछ देर रखने से दातों का दर्द समाप्त हो जाता है |

7) नकसीर :- ग्रीष्म ऋतु में लोगों को प्राय नकसीर हो जाती है | 50 ग्राम पीपल की गोंद में मिश्री की समान मात्रा मिलाकर चूर्ण बना लेनी चाहिए | प्रत्येक सुबह इस चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा का सेवन करने से शरीर की गर्मी शांत हो जाती है तथा नकसीर से छुटकारा मिल जाता है |
पीलिया रोग :- पीपल और लसूड़े के 11 पत्ते अच्छी तरह पीसकर, उसमें सेंधा नमक मिलाकर 15 दिनों तक पीने से पीलिया रोग नष्ट हो जाता है |

8) पेट के कीड़े :- पीपल के पंचांग का चूर्ण एवं गुड़ समान मात्रा में मिलाकर सौंफ के रस के साथ दिन में दो बार सेवन करने से पेट के सारे कीड़े मर जाते हैं | बच्चों के लिए यह बहुत उपयोगी है |





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सोमवार, 23 जनवरी 2017

बच्चों के रोने के कारण और उनको संभालने के उपाय

बच्चों के रोने के कारण और उनको संभालने के उपाय



नवजात शिशु में फरिश्तों के समान होते हैं | शहद से भी मीठी किलकारियां, रुई से भी मुलायम गोल मटोल शरीर, खिलते फूलों से भी प्यारा चेहरा | इन के खुश होने पर पूरा घर खुशियों से भर उठता है और कोई भी नहीं चाहता कि यह बच्चे रोए |


आइये इस वीडियो में आपको बच्चों के रोने की कुछ कारण को उनको चुप कराने के कुछ तरीकों के बारे में बताते हैं :-



1) बच्चों के रोने पर अक्सर माता-पिता चिंतित हो जाते हैं | जब बच्चा रो रहा हो तो सबसे पहले उसकी नैपी चेक करें | कई बार नैपी भी गीली होने पर बच्चे असहज महसूस होने पर रोना शुरु कर देते हैं |

2) कई बार जब बच्चा सोते हुए रोने लगे तो चेक करें कि कहीं बेड पर कोई चीज तो नहीं रखी जो उसको चुभ रही हो | कई बार बेडशीट के बेतरतीब होने पर भी बेबी रोना शुरु कर देते हैं |  इसलिए उसके बिछावन को अच्छी तरीके से बिछाय |

3) बच्चे अगर कम कपड़े में हो या कपड़ों से लदे हों तो ठंड या गर्मी महसूस होने पर कई बार असहजता के कारण रोना शुरु कर देते हैं | मौसम को देखते हुए उनके कपड़ों को कम या ज्यादा करें |

4) बेबी जब रो रहा हो तो उसे अपने कंधे से लगा ले | उससे बातें करें या गुनगुना कर कुछ सुनाएं | कई बार असुरक्षा की भावना के कारण बच्चे रोना शुरु कर देते हैं लेकिन अपनी मां का स्पर्श पाते ही वे सामान्य हो जाते हैं |

5) बेबी को सोने के लिए छोड़कर कमरे से बाहर निकलने से पहले उसके बेड पर कुछ सॉफ्ट टॉयज रख दे ताकि नींद खुलने पर खुद को अकेला पाकर वह घबरा कर रोने ना लगे |

6) भूख लगने पर भी बच्चे रोते हैं इसलिए जब बच्चा रोए तो उसे सबसे पहले खाने को कुछ दे |

7) बच्चे को पोटी करने में तकलीफ हो रही हो तो कब्ज हो सकती है | ऐसे में बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं | उसकी डाइट में सब्जी और फलों को शामिल करें | बच्चे को बार बार पोट्टी आ रही हो तो चिकित्सक के पास जाने से पहले उसे जीवन रक्षक घोल पिलाये वरना उसके शरीर में पानी की कमी हो जाएगी | कुछ लोगों की यह धारणा है कि दांत निकलने के दौरान बच्चे का पेट खराब हो जाता है जबकि ऐसा नहीं है | आमतौर पर इस समय बच्चे अपनी उंगलियों को बार-बार मुंह में डालते हैं और इधर उधर की चीजों को भी उठा कर मुंह में रख लेते हैं | इससे संक्रमण होने से पेट खराब हो सकता है |
 फीड कराने वाली मां बच्चे को अपना फीड देती रहे तो और चिकित्सक से संपर्क करें |

8) कई बार बच्चे कान में संक्रमण होने पर जोर जोर से रोना शुरू कर देते हैं और हाथों से कान को खींचने लगते हैं | पेरासिटामोल सिरप से बेबी को रिलीफ मिलेगा लेकिन कान के संक्रमण को ठीक करने के लिए चिकित्सक से मिले |




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शनिवार, 21 जनवरी 2017

स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक भोजन, जल व वायु

Image result for bhojan, jal or vaiyuप्रकृति की सारी संरचनाओं में शरीर की रचना एक बड़ा कठिन, जटिल किंतु बहुत सुंदर विषय है | यह एक बड़ा भारी कल है जिस को चलाने वाली एक शक्ति इसमें रहती है | साधारणतया हम कहते हैं कि यह मेरा शरीर है | इसमें इस बात का आभास होता है कि मैं कोई और है और शरीर कुछ और | 
इस कल को चलने के लिए आवश्यक है संतुलित भोजन, जल व वायु और इस कल द्वारा होने वाले कार्यों के लिए इसे चाहिए बुद्धि का विकास, बल और अवसर | 
जो कुछ भी हम खाते हैं हम उसको भोजन कहते हैं | एक साधारण भ्रम जो जनता में वर्षों से फैला हुआ है कि शरीर को स्वस्थ व बलिष्ठ बनाने के लिए मूल्यवान भोजन की आवश्यकता होती है, इस विचार में कदापि भी सत्यता नहीं है |  भोजन के ज्ञान से निर्धन से निर्धन मनुष्य उसको पोषक तथा बलवर्धक बना सकता है और भोजन की अज्ञानता से धनवान से धनवान मनुष्य उसको विष के समान बना सकता है |  सत्यता इस बात पर है कि उचित समय पर, उचित परिमाण में,  उचित रूप में निश्चित होकर खाया हुआ भोजन सदा ही लाभदायक रहता है | 
यदि निराहार रहकर मनुष्य 20 दिन तक जीवित रह सकता है तो निर्जल व निराहार रहकर केवल 5 दिन तक | कुछ भी हो जल शरीर का एक अति आवश्यक अवयव है | पानी शरीर के भार का 66 प्रतिशत होता है | पानी के बिना जीवित रहना दुर्लभ है | सादा शीतल जल ही शरीर के लिए सदा लाभदायक होता है | बर्फ मिला पानी हानिकारक होता है | दिन भर में मनुष्य को लगभग 3 किलो जल अवश्य इस कल में डालना चाहिए, जिस की मात्रा सर्दी गर्मी में कम या ज्यादा की जा सकती है |
निराहार व निर्जल रहकर तो फिर भी 5 दिन जीवित रहा जा सकता है परंतु वायु के बिना तो एक पल भी जीवित रहना दुर्लभ है | इसी कारण शरीर के लिए वायु अति आवश्यक है | जो मनुष्य बंद कोठियों में और सकरी गलियों में रहते हैं वे सदैव किसी न किसी रोग से ग्रस्त रहते हैं | प्रतिदिन दो चार बार शुद्ध वायु में आकर 2-4 लंबी-गहरी श्वास लेने से बहुत से रोगों के होने की संभावना समाप्त हो जाती है | 
यह वह वस्तुए है जो इस शरीर रूपी कल के चलते रहने के लिए आवश्यक है | जिनकी सहायता से यह चलती हुई कल महान से महान कार्य कर सकती है |

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जोड़ो का दर्द जब जब सताये तो ये तरिके अपनाये

जोड़ो का दर्द जब जब सताये तो ये तरिके अपनाये :-


गलत खान पान की वजह से आज कल तक़रीबन सभी लोग जोड़ों के दर्द के रोग से पीड़ित है | इस वीडियो में जोड़ों के दर्द को दूर करने के कुछ आयुर्वेदिक उपाय बताने जा रहे है |

1)  लहसुन पीस कर लगाने से बदन के हर अंग का दर्द जाता रहेगा, किंतु इसे जल्द हटा लेना चाहिए नहीं तो फफोले पड़ने का भय रहता है |

2)  राई को पीसकर उसका लेप करने से हर दर्द मिट जाता है |

3)  गठिया के दर्द में अरंडी का छिला हुआ बीज पहले दिन एक, दूसरे दिन में दो, इस प्रकार सात बीज तक खाये फिर प्रतिदिन एक-एक कम करके एक बीज पर ले आए | इसे गठिया का दर्द हमेशा के लिए गायब हो जाएगा |

4) अजवायन को पानी में डालकर पका लें और उस पानी की भाप दर्द वाले स्थान पर दें | देखते ही देखते दर्द काफूर हो जाएगा |

5)  कड़वे तेल में अजवायन और लहसुन जलाकर उस तेल की मालिश करने से हर प्रकार के दर्द से छुटकारा मिल जाएगा | 


6)  कनेर की पत्ती उबालकर पीस लें और मीठे तेल में मिलाकर लेप करें | इससे दर्द जाता रहेगा |





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सोमवार, 16 जनवरी 2017

प्याज के गुणों का भरपूर फायदा लेने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखे |...


भोजन में अति प्राचीन काल से प्याज का उपयोग होता रहा है | प्याज शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है | प्याज वात, पित्त और कफ, इन तीनों विकारों में गुणकारी है | 


मगर सभी औषधियों की तरह इसका प्रयोग भी संभलकर करना चाहिए नहीं तो प्याज कई बीमारियों का कारण बन सकता है |

पाचन शक्ति और प्रकृति का ख्याल रखकर ही प्याज का उपयोग करना चाहिए | कुछ व्यक्ति प्याज के पोषक तत्व को पचा नहीं सकते | प्याज के उपयोग से उन्हें गैस हो जाती है | उन्हें प्याज को पचाने के लिए ज्यादा श्रम करना चाहिए या प्याज का कम मात्रा में उपयोग करना चाहिए | 

प्याज का अत्याधिक और निरंतर सेवन करने से रक्त तप जाता है और फोड़े, फुंसियां होने की संभावना रहती है | वीर्य पतला पढ़कर स्खलित हो जाता है | 

प्याज और दूध का एक साथ सेवन नहीं करना चाहिए | प्याज और दूध इन दोनों के सेवन के बीच में कम से कम 3-4 घंटे का अंतर होना चाहिए | दूध पीने के पहले या बाद में तुरंत ही प्याज खाने से कोढ़, रक्त दोष आदि विकार हो सकते हैं | 

आंखें दुखती हो तब भी प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए | इससे आंखों की पीड़ा और बढ़ जाती है | 

प्याज को वायु नाशक माना गया है परंतु उस को पकाने, उस की सब्जी बनाने से वह वायु कारक बन जाता है जबकि कच्चा प्याज वायु नहीं करता |

काफी वक्त से काट कर रखे हुए प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए | प्याज को काटकर तुरंत ही खा लेना चाहिए काट कर रख छोड़ने पर उसमें रहा हुआ तत्व उड़ जाते हैं |

ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखकर हम गुणकारी प्याज के गुणों का भरपूर फायदा उठा सकते हैं | 

धन्यवाद





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रविवार, 15 जनवरी 2017

कब्ज दूर करने के 12 घरेलु उपाय



कब्ज दूर करने के 12 घरेलु उपाय


1) यदि आप बिना छाने आटे की मोटी-रोटी चबा-चबा कर खाएं तो कभी कब्ज नहीं होगी |

2) 20 ग्राम त्रिफला रात को ढाई सौ ग्राम पानी में भिगोकर रखें सुबह शौच क्रिया करने के पूर्व त्रिफला का निथरा हुआ जल पिए | कब्ज दूर हो जाएगी |

3) कुट्टी हुई हरहड़ रात को फाँक कर ढाई सौ ग्राम गुनगुना पानी पीने से सुबह उठते ही पेट साफ हो जाएगा | 

4) गाजर, मूली, शलगम, टमाटर, पालक की पत्तियां, चौलाई और बीट की पत्तियों के सलाद में नारियल की गिरी के छोटे-छोटे टुकडे मिलाकर, भोजन के साथ या उसके बाद खाएं, पुराना कब्ज भाग जाएगा |

5) 7-8 अंजीर लेकर गर्म पानी में उबालकर उस का काढ़ा बना ले | रात को सोते समय यह काढ़ा पिएं | तीन-चार दिनों तक लगातार पीने से कब्ज की शिकायत हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी | पर यदि अधिक दस्त आने लगे तो काढ़ा पीना तुरंत  बंद कर दें |

6) सुबह उठकर खाली पेट दो सेब दांतो से काट कर खाए | कब्ज नहीं रहेगा |

7) बारीक कपड़े पर पुल्टिस की तरह गीली मिट्टी लपेट कर रात भर अपने पेट के निचले हिस्से पर रखिए | अवश्य लाभ होगा |

 8) रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद एक गिलास ताजे  पानी में मिलाकर पिएं कब्ज नहीं रहेगा |

9) प्रातः काल बिना कुछ खाए 10 दाने काजू , 5 दाने मुनक्का खाने से कब्ज दूर होता है |

10) रात को नींबू काट कर रख दे | सवेरे उस की शिकंजी बना कर पी लें | इसे पीने से कब्ज दूर होगा |

11) दो बड़े पीले पके संतरों का रस सुबह नाश्ते से भी पहले पिए | एक हफ्ते में पुराने से पुराना कब्ज दूर हो जाएगा |

12) खाना खाने के एकदम बाद एक कप गरमा गरम उबलता हुआ पानी घूंट-घूंट करके पीने से कब्ज और पेट से संबंधित शिकायतें दूर होती है |



खाली पेट काजू और शहद खाने के फायदे 
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सोमवार, 9 जनवरी 2017

लहसुन के रस से बनने वाली 7 औषधिया और उनके लाभ

लहसुन को कई तरीकों से इस्तेमाल में लाया जा सकता है और हर एक तरीके से लहसुन गुणकारी गुणकारी ही है |


दुबले व्यक्तियों को असगंध के चूर्ण के साथ गले के रोगों में मुलेठी के साथ गुल्म यानी ट्यूमर के रोगी को तिल के तेल के साथ, T.B.  यानी छय के रोगी को घी और दूध के साथ, अर्श यानि बवासीर के रोगी को कुटज की छाल के साथ, पेट के कीड़ों के इलाज के लिए बायविडंग के चूर्ण के साथ, खांसी और सांस के रोगी को त्रिफला के चूर्ण के साथ लहसुन का सेवन हितकारी होता है |

लहसुन का रस कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को दूर करने में लाभदायक होता है | इस वीडियो में लहसुन के रस से बनने वाली औषधियों के तरीकों और उनके लाभ के बारे में जानकारी देंगे |


  1. आधासीसी यानी आधे सिर के दर्द में लाभकारी औषधि बनाने का तरीका 
  2. जख्म को ठीक करने में लाभदायक औषधि बनाने का तरीका 
  3. क्षयरोग यानी टीबी की लाभकारी औषधि बनाने का तरीका 
  4. काली खांसी की रामबाण औषधि बनाने का तरीका 
  5. दाद को मिटाने की औषधि बनाने का तरीका 
  6. दमा और सांस के रोगों की लाभकारी औषधि बनाने का तरीका  
  7. सर्दी जुकाम का रामबाण औषधि बनाने का तरीका 



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