शनिवार, 10 दिसंबर 2016

कुछ लोग गोर और कुछ लोग काले क्यों ? हमें त्वचा की साफ सफाई क्यों करनी चाहिए ?


त्वचा का शरीर के अंदर सब वस्तुओं को ढकती है और शरीर के ताप को समान अवस्था में रखती है | साथ ही साथ हमारे शरीर पर होने वाले कीटाणु और जीवाणुओं के बाहरी आक्रमण से भी शरीर का बचाव करती है |

यदि बाहर से शरीर में अधिक गर्मी घुसने लगती है तो त्वचा पर पसीना आ जाता है | शरीर को कुछ शीतलता मिलती है | और जब बाहर से अधिक सर्दी मिलती है तो त्वचा सिकुड़कर मोटी हो जाती है, शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और शरीर के अंदर के अवयव बाहर की ठंड से बच जाते हैं  | 

त्वचा की कई तहे होती हैं | त्वचा की बाहर की त्वचा कुछ कड़ी और मोटी होती है | त्वचा के नीचे रंग के कण ( पिगमेंट ) होते हैं जो ताप से शरीर की रक्षा करते हैं | जिन देशों में गर्मी अधिक पड़ती है, वहां यह कण शरीर की रक्षा हेतु अधिक होते हैं | जिससे मनुष्य का रंग काला पड़ जाता है जैसे अफ्रीका देशों में मनुष्य अधिक काले होते हैं |  जिन देशों में ठंड पड़ती है वहां यह कण बहुत कम या बिल्कुल नहीं होते जैसे युरोप अमरीका आदि के निवासी अधिक या कम गोरे होते हैं | 

ऊपरी त्वचा के नीचे असली त्वचा होती है जिसमें दो प्रकार की छोटी-छोटी  ग्रंथिया होती हैं | एक में से पसीना निकलता है जिसके द्वारा रक्त के अंदर के कुछ विकार बाहर निकल जाते हैं | दूसरे में से चिकनाई निकलती है जो बालों व त्वचा को नर्म रखती है | ऊपरी त्वचा में करोड़ों छोटे छोटे छिद्र होते हैं जिनको पोर्स या मुसाम कहते हैं | यदि यह छिद्र कई बार मेल के कारण बंद हो जाते हैं क्योंकि शरीर के अंदर की चिकनाई बाहर निकलती है और उस पर बाहर की धूल जम जाती है | छिद्रों के बंद होने से अंदर का विष नहीं निकल पाता और शरीर रोगी हो जाता है | इस प्रकार इस कारण शरीर की बाहरी सफाई अनिवार्य रूप से करनी चाहिए |




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